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हाल के दिनों में तीन घटनाएं हुईं जिन पर विचार करने की आवश्यकता है .पहली घटना है आसाम दंगे के दौरान की .आसाम में बंगलादेशी घुसपैठियों और स्थानीय हिन्दुओं के बीच में भयंकर दंगे हुए .कई सारे गाँव के गाँव जला दिए गए.जान माल की बहुत क्षति हुई.लेकिन इन दंगों के दौरान एक एसी घटना हुई जो कुछ अलग ही संकेत देता है .बलवाई बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों ने पाकिस्तान के झंडे लहराए.
दुसरी घटना है मुंबई की .मुंबई के आज़ाद मैदान में रज़ा अकेडमी और अन्य मुस्लिम संस्थाओं के तत्वावधान में म्यांमार में रोहंगिया मुसलमानों की कथित हत्याओं और आसाम में बांग्लादेशी मुसलमानों की कथित हत्याओं के विरोध में सभा आयोजित की गयी थी.यूँ तो प्रशासन के द्वारा इस सभा की अनुमति दी ही नहीं जानी चाहिए थी क्योंकि सभा का उद्देश्य उनके पोस्टरों से ही साम्प्रदायिक और भड़काऊ दिख रहा था .लेकिन प्रशासन ने सभा के लिए अनुमति दी . सभा में उपस्थित “शान्ति के धर्म ” के अनुयायी हिंसक हो गए और उन्होंने बाहर निकलकर पुलिस वाहनों ,पुलिसकर्मियों के ऊपर पथराव करना प्रारंभ कर दिया .नगर परिवहन की कई बसें जला दी गयी .55 लोग घायल हुए जिनमें अधिकतर पुलिसकर्मी थे .महिला पुलिसकर्मियों से दुर्व्यवहार भी किया गया .पुलिस को ऊपर से आदेश था संयम बरतने का .पुलिस को तो इन सेक्युलर सरकारों ने नपुंसक बना दिया है .पुलिस मार खाती रही .इस हिंसक उत्पात के दौरान भी दंगाइयों ने पाकिस्तानी झंडे लहराए . और तो और बलवाइयों ने भारत के 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में हुतात्मा हुए दो हुतात्माओं की स्मृति में निर्मित अमर जवान ज्योति को भी नहीं बख्शा .अमर जवान ज्योति को तोड़ डाला गया .
तीसरी घटना है हैदराबाद की .हैदराबाद के एक्जीविशन ग्राउंड में कुछ मुस्लिम संस्थाओं ने 14 अगस्त को एक कार्यक्रम रखा जिसमे पाकिस्तान का झंडा फहराया गया .टीडीपी के पार्षद राजा सिंह एवं अन्य राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओं को इस कार्यक्रम की भनक लग गयी थी.वो लोग कार्यक्रम स्थल पर पहुँच गए और उनलोगों ने पाकिस्तानी झंडे को उतारने की कोशिश की जिससे तनाव उत्पन्न हुआ और पुलिस ने इन राष्ट्रवादियों को ही गिरफ्तार कर लिया .हालांकि बाद में जनदबाव में पुलिस को इन्हें रिहा करना पड़ा .
इन तीनों ही घटनाओं में एक साम्य है .तीनों ही घटनाओं में पाकिस्तानी झंडे लहराए/फहराए गए .बांग्लादेशी मुसलमानों ने आसाम दंगे के दौरान बांग्लादेशी झंडे नहीं लहराया बल्कि पाकिस्तानी झंडा ही क्यों लहराया ?और फिर मुंबई या हैदराबाद में ही पाकिस्तानी झंडे क्यों फहराए गए ?क्योंकि पाकिस्तान सिर्फ एक देश नहीं है .पाकिस्तान है एक विचारधारा जो नहीं चाहती है भारत का विभाजन चाहती है .यही कारण है कि कश्मीर के अलगाववादी भी पाकिस्तानी झंडे फहराते हैं .आवश्यकता है इस विचारधारा को समूल नष्ट करने की .
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